Saturday, April 23, 2011

जी हाँ ! हमने गलत नियम बनाए हैं ताकि भविष्य में उन्हें सुधारते रहे
*
हम एक जैसा ही सोचते हैं -- क्योंकि हम सोचते ही नहीं!

*
सीढ़ी चढ़ने के लिए होती है या उतरने लिए? 
चढ़ने के लिए, क्योंकि उतरने के लिए हम इतनी प्रतीक्षा नहीं करते!
*

गीले परों के बंधन
चाहने न चाहने से परे
संबंधो के जाल को
उड़ा लो
अपने परों से
*
काश!
विश्वास की भी करंसी होती
दुःख तो नहीं होता
अगर उसका
अवमूल्यन हो जाता

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