जय हो!
(२६ जनवरी १९७४)
आओ देश की बातें करें
चिपकी अदृश्य जोंको को सहलाएं
बेधते रहें वग्बाणो से उन्हें
जिन्हें हम कभी छू न सके.
जो हमें मरुस्थल में छोड़ कर
जशन मना रहे हैं
हमारी आज़ादी का
आओ मरीचिकाओं की बाते करे
जिन्हों ने हमें सींखचो से निकाला था
अब उन्ही सींखचो को
चुभा रहे हैं
उपदेश दे रहे हैं
आज़ादी का
आओ तलवों की बाते करे
जो लुहू लुहान हुए थे
लक्ष्यों को हासिल करने पर
उन्ही तलवो को सहलाते रहें
और अब सहलाते रहें उन तलवो को
जो कभी छिले नहीं
जो हम पर ही चल रहें हैं
जिनके नीचे हम पिस रहें हैं
आओ देश की बाते करे
योजना बनाएं, चिंता करें
शेख चिल्ली की तरह
और जनता को खुश करे
आओ भविष्य की बाते करें
राजनीति की, दांव पेंच की बाते करे
आओ काम की बाते करें
सिर्फ बातें करें.
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