Sunday, April 22, 2012

हवाएं

·         विचार हवा का एक झोंका है जो मन के परदे को ऊपर उठाता हुआ मस्तिष्क में भर जाता है.

·         हवाएं   ऐसी चलती हैं कि कुछ कह जाती हैं, कहती हुई हवाएं   कभी कभी क्यों बहती है?

·         हवाओं का कारखाना खुल गया है, आहटो का राग बजने लगा है. आओ खुशियों को हवा का परिवेश पहना कर  इसे धकेल दें  और उड़ा ले जाने दें वे नकाब जिन्हें हम 'हम' समझते हैं.

·         छुरी सी तेज हवा को, कन्धों को छीलती हवा को लेकर, इस चिलचिलाती धूप में, मन न जाने कहाँ जाकर छाया में बैठ गया है -घने वृक्षों में, गाडी-डगरों में जाकर छिप गया है गहन शान्ति  में .....
·         कभी हवाएं वासंती हुआ करती थी, कभी सुरभित, कभी आर्द्र और कभी तीखी गरमाई हवा...परन्तु अब एक ही तरह की हवा चारों ओर बह रही है
        - केवल दलदली राजनीतिक    हवा

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