Reflections
Sunday, February 7, 2016
शोर
बेतहाशा
भागती
गुर्राती
जिन्दगी में
,
मानो
शोर ठहर गया है
और
जो क्षण
मौन थे
,
चल रहे थे.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment