Tuesday, February 26, 2013

Spring

वसंत में
होठ
सूखे पत्तो की तरह 
खडखडाते   हैं, जैसे
टूटन का दर्द लिए 
उतरी हुई मुस्कान! 

Monday, February 11, 2013

Rituraaj

वसंत आया
हर शाख लदी
टेसू फूली
फूला उपवन
फूलों की क्यारी में
अंकुर फूटे
अमराई बौराई
कोयल स्वर गूंजे
धरती की थाल सजी
संध्या के दीप जले
पवन चली मद मस्त
मार्ग सब सुथरे सुथरे
पर मेरे कमरे के उस कोने में
गुलदस्ते के फूल
भले
ऋतुएँ बदली
मौसम बदले
चुप मौन धरे
स्थित प्रज्ञ   योगी
मेरे कमरे के फूल!
"पलाश फूले
पवन झकोरे
सुवास फ़ैली....."